Sunday, October 26, 2008

सरिताएं

ये मेरी कैसी कविताएँ, कवियें ये आखर सरिताएं
सरिताएं की जिनमें डूब में जाऊं
डूब के इन्में क्या में पाऊँ
अब तुमको कैसे बतलाऊँ
ना पाऊँ में सीप या मोती
मोती के अन्दर जो होती
वो ज्योति ये सरिताएं
ये मेरी कैसी कविताएँ

सरिताओं की धार में आया
आ कर अपना जी बहलाया
पर बोलो सरिताओं ने क्या पाया
न पाई वो सीप या मोती
न पाई वो निर्मल ज्योति
फिर क्यूँ बहतीं ये सरिताएं

ये मेरी कैसी कविताएँ,
कविताएँ ये आखर सरिताएं

5 comments:

puneet said...

chakresh is one of the poet ,who is blessed with varity and this is shown in this poem .....carry on chakresh

Mahaguru said...

maal yaar...bahut achha hai ..

Randhir Singh Suman said...

आपको और आपके परिवार को नव वर्ष मंगलमय हो!

संगीता पुरी said...

इस नए ब्‍लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. अच्‍छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

dweepanter said...

नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।

ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...