पापा आप की स्कूटर पर
आगे खड़े होकर स्कूल जाना
गेट पर खड़े रहना
अन्दर जाने से घबराना
वो भारी बस्ता टांग कन्धों पर
सर झुका टीचर से शर्माना
गले में टाँगे पानी की बोतल
लंच में टिफिन चुराना
पापा तेरे आने तक गेट पर
खुद को फुसलाना बहलाना
याद आ रहा आज सब कुछ
वो स्कूल से कॉलेज तक आना
और आज अचानक इक कंपनी में
यूँ ही placed हो जाना
पापा तेरे कन्धों से उतर आज
मैंने ये माना
ये उचाई कितना कम है, कितना
कठिन है तुझसा कद पाना
खुसी मनाऊं, गाने गाऊँ
या याद करूँ तेरी थाली में खाना ?
पापा मुझे ये सब नही चाहिए
घर से दूर बस नही जाना
मेरी पीड़ा मैं ही जानू
क्या नापेगा कोई पैमाना ?
और इसपर बधाई लगती है मानो
रूठे मन पर ताना
पापा अब क्या कहूँ मैं तुमसे
अब तक बस इतना जाना ....
तेरे बिन नही हूँ कुछ भी
दुःख दे गया नौकरी पाना |
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
Sunday, January 17, 2010
ऐसे भी तो दिन आयेंगे
ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन हँसती रातें...
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(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
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(Ram V. Sir's explanation) vAsudhEvEndhra yogIndhram nathvA gnApradham gurum | mumukshUNAm hithArThAya thathvaboDhaH aBiDhIyathE || ...
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कभी समय के साथ जो चलकर भूल गया मैं मुस्काना मेरी कविताओं फिर तुम भी धू-धू कर के जल जाना बहुत देर से चलता आया बिन सिसकी बिन आहों के आज अगर ...
2 comments:
simply awesome.......
its our hard fate that we can't be with our family even after completion of study. You really expressed our feelings.
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