Wednesday, January 27, 2010

कुछ भूल सकता नही

कुछ बातें भूल सकता हूँ ...कुछ भूल सकता नही
कुछ याद रहता नही मुझे, कभी कुछ भूल सकता नही ...................................0



पल भर का इक मोड़ पर रुक जाना, वो ठहराव क्या था ?
अनजान पथिक संग बहते चले जाना, वो बहाव क्या था ?
आज पूछ रहा हूँ अकेला दीवारों से मैं
दे गया बिछड़ कर जो वो मुझे, आखिर वो घाव क्या था ?
कुछ घाव सह सकता हूँ, कुछ सह सकता नही
कुछ बातें भूल सकता हूँ , कुछ भूल सकता नही ..................................................1

हार कर तकलीफ में मुझे, वो पुकारना क्या था ?
हाथ मेरा थाम तूफ़ान में, वो समहलाना क्या था ?
पूछ रहा हूँ आज हंस कर खुद से मैं
फिर इक दिन मुझे अनजान कह, वो मुह फेर लेना क्या था ?
कुछ बेरुखी माफ़ कर सकता हूँ , कुछ भी माफ़ कर सकता नही
कुछ बातें भूल सकता हूँ , कुछ भूल सकता नही ......................................................2


मुझसे सारी बातें बताना , वो अटूट विशवास क्या था ?
मुझमें सब कुछ उचित पाना, वो मुझमें ख़ास क्या था ?
पूछ रहा हूँ सब जान कर भी मैं
बाज़ार में मुझे नीलाम करने का, वो प्रयास क्या था ?
लुटा सकता हूँ सब कुछ, कुछ लुटा सकता नही
कुछ बातें भूल सकता हूँ कुछ भूल सकता नही....................................................3

1 comment:

myviews said...

awesome!... nicely worded with emotions,

ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...