Thursday, March 25, 2010

फिर सजा बाज़ार मौला आज तेरे शेहेर में

फिर सजा बाज़ार मौला आज तेरे शेहेर में
बिकता है खरीदार मौला आज तेरे शेहेर में

नीलाम है ईमान का घर
हर शख्स है बे आबुरु
वाइज़ भी गमखार मौला आज तेरे शेहेर में

मुल्क शहीदों का जो था
है आज मुलजिमो के हाथ में
शहादत गयी बेकार मौला आज तेरे शेहेर में

अब्र बरसा दे अब के
पानी से लहू मिटाता नहीं
हर हाथ में तलवार मौला आज तेरे शेहेर में

खूब रोया याद कर के
बीते दिनों के बात मैं
ईमान की है मज़ार मौला आज तेरे शेहेर में

अब नहीं कश्टी हमारी
चाह में साहिल के है
हैवान है खूंखार मौला आज तेरे शेहेर में

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ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...