Tuesday, September 14, 2010

यहाँ ठेस लगाती है दिल टूटता है

मुझे रास न आया ये खेल यारों
यहाँ चोट लगती है दिल टूटता है
ज़रा भी न भाया ये खेल यारों
यहाँ ठेस लगती है दिल टूटता है

ये आखें तो देखें बस मासूम सपने
मंदिर जोड़े जो भी हाथ अपने
तुम ही कहो वो क्या मांगता है-२

एक बच्चा लड़कपन से पाए जवानी
जवानी बन जाए एक करूड़ कहानी
तुम ही कहो वो क्या मांगता है -२

बागीचे में बाबा फूलों से भंवरे उड़ाता
थक जाता हांफता फिर सुस्ताता
तुम ही कहो वो क्या मांगता है -२

कर्म तुला पे झूलता तराजू पुण्य पाप का
समझ न आये मुझे हिसाब इसके माप का
विरासत में पाया ये खेल यारों
मुझे रास न आया ये खेल यारों
यहाँ घाव भरता है फिर फूटता है
यहाँ ठेस लगाती है दिल टूटता है

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ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...