Sunday, December 12, 2010

आज की रात

लिख चल दिल की बात

खुल कर मेरे यार

आज की रात

क्यूँ न खो जाऊं कहीं

श्याही संग

बन कर जज़्बात

आज की रात



ऐसे तो मुझको nahi

होता कभी

आज हुआ जाने क्यूँ

ढल जा शब्दों में

बन कर कोई बात

आज की रात



कलि कलि गाये तेरा

गीत नया

मुस्का कर यार

ले आ

भावों की बारात

आज की रात

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ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...