अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
Friday, April 29, 2011
मेरी कविताओं
कभी समय के साथ जो चलकर
भूल गया मैं मुस्काना
मेरी कविताओं फिर तुम भी
धू-धू कर के जल जाना
बहुत देर से चलता आया
बिन सिसकी बिन आहों के
आज अगर मैं फूट के रो दूं
तुम बिलकुल ना घबराना
मैं तो इक चन्दन की लकड़ी
यज्ञ-हवन में जलता हूँ
तुम हर मंत्र के अंतिम स्वाहा पर
बन आहूति जल जाना
द्वेष ना करना पढने वालों से
जो तुम्हे मामूली कहते हैं
बन जीवन का अंतर्नाद तुम
रोम रोम में बस जाना
भूत की खिड़की बंद कर चूका
मैं वर्त्तमान में लिखता हूँ
तुम भविष्य की निधि हो मेरी
आगे चल कर बढ़ जाना
ह्रदय कोशिकाओं में मेरी
शब्द घुल रहें बरसों से
लहू लाल से श्वेत हो चूका
तुमको अब क्या समझाना
अर्थ ढूढने जो मैं निकलूँ
मार्ग सभी थम जाते हैं
दूर दूर तक घास-फूंस है
मृग-तृष्णाओं पे पीछे क्या जाना
नदी के कल कल निर्मल जल सी
बहती रहो रुक जाना ना
झूठ सच यहीं पे रख दो
सागर में जाके मिल जाना
Monday, April 25, 2011
फलसफा
किस गली किस शहर की ख्वाहिश में हम
बिक गए, लुट गए, खो गए क्या पता
क्या था जो रहा रूह के इतना करीब
के खुद से पराये हो गए क्या पता
चल रहे हैं के चलते रहे हैं कदम
रुक के देखा नहीं है हमने कभी
ख्वाब हो या हकीकत एक ही फलसफा
जागते थें हम कब सो गए क्या पता
बिक गए, लुट गए, खो गए क्या पता
क्या था जो रहा रूह के इतना करीब
के खुद से पराये हो गए क्या पता
चल रहे हैं के चलते रहे हैं कदम
रुक के देखा नहीं है हमने कभी
ख्वाब हो या हकीकत एक ही फलसफा
जागते थें हम कब सो गए क्या पता
Tuesday, April 12, 2011
सुगंध - ३
मैं कब जन्मी थी जीने को,
कब मौत हुई मेरी सोचूँ
मैं तो युग युग से इसी सृष्टि की
एक निरंतर कविता हूँ
कर्म धर्म सुख दुःख की गाथा
बैठ पथिक सुनाता है
मेरी रूचि कब थी इन बातों में
इश्वर के धुन क्यूँ गाता है
जो फूल खिल गया बिन बातों से
उसकी सुगंध की प्यासी मैं
स्वयं पंक्ति जुड़ जाती मुझमें
उसके खिलने की जब सोचूँ
होंठ बंद कर पढ़ लो मुझको
हंस लेना जब उर तक पहुंचूं
यहाँ उतरते शब्दों से मैं
वहां फैलाते मद तक सोचूँ
कब मौत हुई मेरी सोचूँ
मैं तो युग युग से इसी सृष्टि की
एक निरंतर कविता हूँ
कर्म धर्म सुख दुःख की गाथा
बैठ पथिक सुनाता है
मेरी रूचि कब थी इन बातों में
इश्वर के धुन क्यूँ गाता है
जो फूल खिल गया बिन बातों से
उसकी सुगंध की प्यासी मैं
स्वयं पंक्ति जुड़ जाती मुझमें
उसके खिलने की जब सोचूँ
होंठ बंद कर पढ़ लो मुझको
हंस लेना जब उर तक पहुंचूं
यहाँ उतरते शब्दों से मैं
वहां फैलाते मद तक सोचूँ
Friday, April 8, 2011
सुगंध २
Thursday, April 7, 2011
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
क्यूँ रूठ गए मेरे यार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
कुछ बातें हैं दो-चार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
भोला सा भोला भाला सा
नन्हा सा वो मतवाला सा
खोया बचपन का प्यार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
देखो तो शायद मिल जाए
अंतर में झांको मुस्काये
हाँ वही वो राज कुमार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
behane को नदियाँ बहती हैं
सब अपनी अपनी कहती हैं
सुन सको तो सुन लो यार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
सागर की उमंगें बन जाओ
हंस सको न सको पर मुस्काओ
जीवन बच्चों का व्योपार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
उठा कलम कविता लिख दो
खोल ह्रदय आखर सरिता लिख दो
मृगनयनी से कर लो आँखें चार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
बोतल की बूंदों को मतलब को
प्यालों को सब का सब दे दो
दुःख का मत लो भार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
कुछ बातें हैं दो-चार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
भोला सा भोला भाला सा
नन्हा सा वो मतवाला सा
खोया बचपन का प्यार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
देखो तो शायद मिल जाए
अंतर में झांको मुस्काये
हाँ वही वो राज कुमार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
behane को नदियाँ बहती हैं
सब अपनी अपनी कहती हैं
सुन सको तो सुन लो यार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
सागर की उमंगें बन जाओ
हंस सको न सको पर मुस्काओ
जीवन बच्चों का व्योपार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
उठा कलम कविता लिख दो
खोल ह्रदय आखर सरिता लिख दो
मृगनयनी से कर लो आँखें चार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
बोतल की बूंदों को मतलब को
प्यालों को सब का सब दे दो
दुःख का मत लो भार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
ऐसे भी तो दिन आयेंगे
ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन हँसती रातें...
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(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
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(Ram V. Sir's explanation) vAsudhEvEndhra yogIndhram nathvA gnApradham gurum | mumukshUNAm hithArThAya thathvaboDhaH aBiDhIyathE || ...
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कब शहर बुला ले, ख़बर नहीं जब तक गाँव में हूँ, ज़िंदा रहने दो सोने दो खुले आसमान के नीचे रहने दो मुझे अकेले मंदिर के चौबारे पर गिरने दो इ...