Sunday, May 15, 2011

मोमिन न मैं फ़िराक न ग़ालिब न मीर हूँ

मोमिन न मैं फ़िराक न ग़ालिब न मीर हूँ
इक आग का गोला हूँ मैं अर्जुन का तीर हूँ

जुज़ नाम बिना काम मैं फिरता हूँ शहर में
बस्ती में बड़ा नाम है दिल का अमीर हूँ

इक लफ्ज़ नहीं बोलता वाइज़ की बात पर
गीता हूँ मैं कुरान हूँ इक जलता शरीर हूँ

2 comments:

vandana gupta said...

सुन्दर भावाव्यक्ति।

तरुण भारतीय said...

बढिया पोस्ट ...................धन्यवाद .........

ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...