Monday, October 24, 2011

दिल की तन्हाई इस कदर क्यूँ है

दिल की तन्हाई इस कदर क्यूँ है
मुझसे बेगाना आज घर क्यूँ है ?

याद आता नही मुझे कुछ भी
जाने भीगी सी ये नज़र क्यूँ है

लौट जाना नसीब है इसका
हो रही बावली लहर क्यूँ है

आसमाँ पूछता सितारों से
उनसे महरूम दोपहर क्यूँ है

2 comments:

रविकर said...

हो रही बावली लहर --

सुंदर कविता, सुंदर भाव।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

chakresh singh said...

thanx sir..aap ko Happy Diwali ...

ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...