Wednesday, December 28, 2011

निष्कंटक पथ

निष्कंटक पथ, पुष्प वाटिका ,
ना है ना थी चाह कभी ,
योग का जीवन, तपता तन मन ,
कभी भी रुकती राह नही

अश्रू संचित करते दो नयन ,
नित दिन ताका करते हैं ,
ओस में घुली शीतल किरणों से,
नित दिन माँगा करते,
एक नया दिन उज्वल हिम सा,
जिसमे हो निशा की श्याह नहीं

ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...