तुम रागों में
तुम शब्दों में
तुम ज्योति में
तुम जीवन में
तुम भावों में
तुम सरिता में
तुम धड़कन में
तुम कविता में
तुम नाम नहीं
तुम काम नहीं
तुम पूजा हो
तुम कण कण में
तुम फूलों में
तुम कलियों में
तुम मंदिर में
तुम मूरत में
तुम सीपी में
तुम मोती में
तुम सागर में
तुम लहरों में
मैं कौन भला ?
मैं क्या जानूं ?
हो काव्य में तुम
तुम दर्शन में
तुम चंदा में
तुम तारों में
तुम ज्वाला में
अंगारों में
बचपन में तुम
तुम योवन में
ऋतुओं में तुम
तुम सावन में
तुलसी में तुम
रबिदास में तुम
तुम श्लोकों में
हर सांस में तुम
मैं क्या बतलाऊँ कौन हो तुम
-ckh-
kaise bataaooN main tumhe ....mere liye tum kaun ho .....
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
ऐसे भी तो दिन आयेंगे
ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन हँसती रातें...
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(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
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(Ram V. Sir's explanation) vAsudhEvEndhra yogIndhram nathvA gnApradham gurum | mumukshUNAm hithArThAya thathvaboDhaH aBiDhIyathE || ...
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कभी समय के साथ जो चलकर भूल गया मैं मुस्काना मेरी कविताओं फिर तुम भी धू-धू कर के जल जाना बहुत देर से चलता आया बिन सिसकी बिन आहों के आज अगर ...
2 comments:
मैं कौन भला ?
मैं क्या जानूं ?
हो काव्य में तुम
तुम दर्शन में.....bahut khubsurat hai
मैं कौन भला ?
मैं क्या जानूं ?
हो काव्य में तुम
तुम दर्शन में.....bahut khubsurat hai
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