Saturday, May 12, 2012

हर कोई इक सफ़र में है


हर कोई इक सफ़र में है 
ज़िन्दगी की डगर में है

मंजिलों की नहीं खबर
काफिला रहगुज़र में है

फिर वही रंग-ओ-बू यहाँ 
फिर तमाशा शहर में है 

आधियाँ थम ही जायेंगी 
हौसला हर सज़र में है 

2 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत खूब.........................
छोटे बहर की बढ़िया गज़ल....

chakresh singh said...

शुक्रिया अनु जी

-ckh-

ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...