Friday, May 30, 2014

तेरे गेसुओं में कहीं खो गया हूँ

तेरे गेसुओं में कहीं खो गया हूँ
ज़माने से ही मैं जुदा हो गया हूँ

तेरा नाम सुनकर अभी जाग जाता
सदा के लिए जाँ मगर सो गया हूँ

नहीं आज दिल में कोई ज़ौक़-ए-वसलत
सनम जीतेजी मैं फना हो गया हूँ


Tuesday, May 27, 2014

सब दुवाओं का हुवा हो असर, नहीं लगता

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सब दुवाओं का हुवा हो असर, नहीं लगता
भर गया हो चाक -ऐ -जिगर, नहीं लगता

खूब देखी है ज़िन्दगी तेरी सदायें हमने
जी एक पल को किसी भी पहर, नहीं लगता

फिर से लाया है दुःख भरी खबर शायद
वरना मायूस इसकदर नामाबर, नहीं लगता

जिनको आते हैं हुनर गिर के सम्भलने के
उन मुसाफिरों को गिरने से डर, नहीं लगता

यूँ तो और भी होंगी कई मंजिलें लेकिन
दिल अब उनके सिवा कहीं पर नहीं लगता

कई सदियों से चलते आये हैं मगर 'चक्रेस'
ख़त्म होगा कभी ये सफ़र, नहीं लगता


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ckh

ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...