Saturday, June 12, 2010

Ocean within

There’s an ocean within
So deep I can’t tell
Rivers dancing together
Don’t know its heaven or hell

Every breeze is frozen
Cold waves sing no songs
A dumb struck silence
Seems time has stopped
There’s no ticking sound
no ringing bell
There’s an ocean within
So deep I can’t tell...

The blue-gray lines
From the horizon O’ dear
Keeps calling from beyond
but still I am here...
no song no joy
no breeze no smell
there’s an ocean within
so deep I can’t tell

A wretched ship sinks
leaving all sailors dead
caption’s promise stands broken
sad albatross said:
there’s an ocean all around
so deep I can’t tell
rivers dancing together
don’t know it’s heaven or hell
..............................................................................Chakresh

Friday, June 4, 2010

The question was wrong

Four year my college life, I spent walking alone and thinking why life is not the way I wanted it to be? ...and then one question would lead to another and I would end up asking why don't I understand life?....I went through depression, frustration, anger and then lost all my energies. Today I realise that the question itself was wrong.The essence of life is not how it is right now, but rather what can I do to make it better...The question was wrong ..

Wednesday, June 2, 2010

काल से द्वूत खेलता मैं

स्वप्न में
काल से द्वूत खेलता मैं,
जाने क्या क्या दाव पर लगा चुका हूँ |
पासों के इस खेल में
काल की पकड़ इतनी अच्छी क्यूँ है ?
यह भी मेरी समझ से बाहर ही है अबतक |
काल बहुत धनि तो नहीं पर
हार का डर उसके माथे पर आता ही नहीं |
उसका मेरे सर्वस्व लगा देने पर
मेरी तरफ देख कर हँसना
मुझे बिलकुल पसंद नहीं आता |
पर मेरे स्वप्न में मेरी ही हार तो हो नहीं सकती,
ये सोच कर एक और दाव लगा बैठा मैं |
पासे हाथों में लिए बैठा काल,
हँसता ही जाता
हँसता ही जाता

बड़ों का खिलौने

समय के साथ हम खिलौने बदल देते हैं
बड़ों के खिलौने उनके 'शब्द' होते हैं
और शब्दों से खेलना बड़ों खेल |
कोई अच्चा खिलाडी है तो कोई एकदम फिसड्डी,
पर खेल तो एक ही है |

अंक गणित

अंक गणित
अंको से शुरू होकर
एक सीमा रहित व्योम में उड़ती जाती है |
इस विस्तार को देख कर
दंग रह गया हूँ मैं |
अंकों का ज्ञान,
सृष्टी रचयिता को कितना था?
इस प्रश्न ने मुझे दे दिया है
एक अनिर्वचनीय मौन |

अभिमान अवसरवादी होता है

अभिमान अवसरवादी होता है
एक सियार की ही तरेह .
नहीं तो ऐसा क्यूँ होता है कि,
दिन के उजाले में,
दफ्तर में बॉस की चार गलियाँ हंस कर सह जाने वाला आदमी
शाम को घर पहुँचने पर
एक ऊंची आवाज़ भी बर्दास्त नहीं कर पाता

ओ लल्ला हौले हौले

कच्चे रास्तों पे नंगे पाँव चलना
वो कहना बाबा का- ओ लल्ला हौले-हौले

मंदिर की सीड़ी तेज़ी से चढ़ना
वो कहना अम्मा का- ओ लल्ला हौले हौले

डंडे के घोड़े को आँगन में दौड़ना
वो कहना माँ का -ओ लल्ला हौले हौले

उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही

  उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं  रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा  ख़ुद के हा...