Thursday, April 7, 2016

चल दोबारा ज़िन्दगी से प्यार कर

तू किसी शोख़ का सिंगार कर
रख भी दे ये ख़ामोशी उतार कर
तीरगी ये पल में टूट जायेगी 
चल दोबारा ज़िन्दगी से प्यार कर
एक ही नहीं कई शिकायतें
जानता हूँ ज़ीस्त की हिकायतें
फिर भी मेरा अब तू ऐतबार कर
कह रहा हूँ जो वो मेरे यार कर
तीरगी ये पल में टूट जायेगी
चल दोबारा ज़िन्दगी से प्यार कर
~ckh

उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही

  उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं  रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा  ख़ुद के हा...