बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से
ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ
(पायाब: shallow)
दरख़्तों को शिकायत है के तूफ़ाँ तोड़ जाते हैं
ज़रा सी शाम ढल जाये, तो साये छोड़ जाते हैं
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से
ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ
(पायाब: shallow)
दरख़्तों को शिकायत है के तूफ़ाँ तोड़ जाते हैं
ज़रा सी शाम ढल जाये, तो साये छोड़ जाते हैं
बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow) दरख़्तों को शिकायत है के तूफ़ाँ ...