ये मेरी कैसी कविताएँ, कवियें ये आखर सरिताएं
सरिताएं की जिनमें डूब में जाऊं
डूब के इन्में क्या में पाऊँ
अब तुमको कैसे बतलाऊँ
ना पाऊँ में सीप या मोती
मोती के अन्दर जो होती
वो ज्योति ये सरिताएं
ये मेरी कैसी कविताएँ
सरिताओं की धार में आया
आ कर अपना जी बहलाया
पर बोलो सरिताओं ने क्या पाया
न पाई वो सीप या मोती
न पाई वो निर्मल ज्योति
फिर क्यूँ बहतीं ये सरिताएं
ये मेरी कैसी कविताएँ,
कविताएँ ये आखर सरिताएं
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
Sunday, October 26, 2008
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...
-
(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
-
(Ram V. Sir's explanation) vAsudhEvEndhra yogIndhram nathvA gnApradham gurum | mumukshUNAm hithArThAya thathvaboDhaH aBiDhIyathE || ...
-
(One of the four topics for essay from UPSC paper 2012) Sharaabiyon ko akeedat hai tumse, jo tu pilade to paani sharaab ho jaaye Jis...
5 comments:
chakresh is one of the poet ,who is blessed with varity and this is shown in this poem .....carry on chakresh
maal yaar...bahut achha hai ..
आपको और आपके परिवार को नव वर्ष मंगलमय हो!
इस नए ब्लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. अच्छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!
नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
Post a Comment