कैसे अब हम भूलें तुम्हें मुश्किल है ...
क्या करें बच्चों सा ये अपना दिल है ...
बाद तुम्हारे सूनी लगेंगी सब राहें
जहाँ अकेले हो जाएँ कैसी मंजिल है ..
वादा है अब न बोलेंगे दिल की बातें
यार मेरा देखो तो कितना संघ्दिल है ...
ग़ज़लें भी सब आप की हैं और नग्मे भी
आप न होंगे तो जीवन का क्या हासिल है
डूब ही जातें आप की आँखों में लेकिन
सोचते हैं के नाचीज कहाँ इस काबिल है ..
No comments:
Post a Comment