Monday, September 6, 2010

याद बहुत वो आती है

वो लड़की सुन्दर श्यामल सी
भोली सी पगली वो कोमल सी
सारी रात जगाती है
याद बहुत वो आती है

पावनता की वो परिभाषा
जीवन जीने की वो आशा
ख़्वाबों में मुस्काती है
याद बहुत वो आती है

बोली की जैसे धुन वीना की
बालों में खुशबू उसके हीना की
जाने क्या कह जाती है
याद बहुत वो आती है

सावन आये बरखा बरसे
उसके रूप को आँखें तरसे
हाय ! कितना मुझको सताती है
याद बहुत वो आती है

3 comments:

अरुण अवध said...
This comment has been removed by the author.
अरुण अवध said...

सुन्दर भावगीत !

समय चक्र said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति...

उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही

  उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं  रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा  ख़ुद के हा...