Thursday, February 17, 2011

मेरी रुसवाई होने वाली है

मेरी रुसवाई होने वाली है
हर नज़र हुई सवाली है

हो न हो आज ही मरूंगा मैं
ये सिआह रात बड़ी काली है

सब राज़-ओ-परिंदे उड़ गए देखो
पिंजरा-ऐ-दिल अब तो खाली है

वो फिर भी तुहमत लगाता ही गया
मेरा यार अब भी सवाली है

चली है इश्क पर कलम जब भी
'चक्रेस' मुलजिम हुआ बवाली है

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मेरे सच्चे शेर

 बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow)