अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
Wednesday, August 31, 2011
अपने ही वादों के, कर्ज़दार हो गए
अपने ही वादों के, कर्ज़दार हो गए
बैठे थें किनारों पे, मजधार हो गए
फसलों के संग आए, खानाबदोश परिंदे
भी
और हमारी मचानों के, दावेदार हो गए
हमने जला डालीं, लिखकर कई गज़लें
वो बेंच राखों को, फनकार हो गए
हम ढूँढते फिरते, खोयी हुई हस्ती
जो भूल गए खुद को, वो पार हो गए
इक दौर गुजरा है, हम थें अजीजों में
इक दौर ये आया, हम लाचार हो गए
Tuesday, August 9, 2011
Everyone is acting under the influence of same forces. Some accept the flow and go on without attaching any passion to the trajectory and the path of the stream. Some try to defy nature and thus themselves, at some levels, and try to carve separate tracks for themselves. There are few who don't realise that they are flowing
Sunday, August 7, 2011
वो लिख जो कहना न आसान हो
वो लिख जो कहना न आसान हो
जो साँसों के ही हो बस दरमियाँ
ऐ दिल जो परदे खिड़कियों से तेरी
ख़्वाबों के झोंकों से रहे हैं लिपट
उनसे छनती किरणों को लिख
तू वो लिख जो कहना न आसान हो
इन किस्सों कसीदों कहकशों में है क्या
ये न होंगे न होंगे इनके निशाँ
तू वो लिख जो कहना न आसान हो
मंजिलों तक पहुंचती रहगुज़र को भी सुन
सांस लेती समंदर की लहेरों को लिख
तू वो लिख जो कहना सा आसान हो
जो साँसों के ही हो बस दरमियाँ
ऐ दिल जो परदे खिड़कियों से तेरी
ख़्वाबों के झोंकों से रहे हैं लिपट
उनसे छनती किरणों को लिख
तू वो लिख जो कहना न आसान हो
इन किस्सों कसीदों कहकशों में है क्या
ये न होंगे न होंगे इनके निशाँ
तू वो लिख जो कहना न आसान हो
मंजिलों तक पहुंचती रहगुज़र को भी सुन
सांस लेती समंदर की लहेरों को लिख
तू वो लिख जो कहना सा आसान हो
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...
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(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
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(Ram V. Sir's explanation) vAsudhEvEndhra yogIndhram nathvA gnApradham gurum | mumukshUNAm hithArThAya thathvaboDhaH aBiDhIyathE || ...
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(One of the four topics for essay from UPSC paper 2012) Sharaabiyon ko akeedat hai tumse, jo tu pilade to paani sharaab ho jaaye Jis...