अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
Wednesday, August 31, 2011
अपने ही वादों के, कर्ज़दार हो गए
अपने ही वादों के, कर्ज़दार हो गए
बैठे थें किनारों पे, मजधार हो गए
फसलों के संग आए, खानाबदोश परिंदे
भी
और हमारी मचानों के, दावेदार हो गए
हमने जला डालीं, लिखकर कई गज़लें
वो बेंच राखों को, फनकार हो गए
हम ढूँढते फिरते, खोयी हुई हस्ती
जो भूल गए खुद को, वो पार हो गए
इक दौर गुजरा है, हम थें अजीजों में
इक दौर ये आया, हम लाचार हो गए
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...
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(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
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(Ram V. Sir's explanation) vAsudhEvEndhra yogIndhram nathvA gnApradham gurum | mumukshUNAm hithArThAya thathvaboDhaH aBiDhIyathE || ...
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(One of the four topics for essay from UPSC paper 2012) Sharaabiyon ko akeedat hai tumse, jo tu pilade to paani sharaab ho jaaye Jis...
5 comments:
वाह गज़ब की भावाव्यक्ति दिल को छू गयी।
विघ्नहर्ता विघ्न हरो
मेटो सकल क्लेश
जन जन जीवन मे करो
ज्योति बन प्रवेश
ज्योति बन प्रवेश
करो बुद्धि जागृत
सबके साथ हिलमिल रहें
देश दुनिया के नागरिक
श्री गणेशाय नम:……गणेश जी का आगमन हर घर मे शुभ हो।
बहुत ही खूबसूरत...
www.kumarkashish.blogspot.com
Really, awesome poetry.
bahut khb chakresh ji
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