जब जीवन को ललकार दिया तो आगे बढ़कर देखेंगे
बरसों पले पर्वत के नीचे अब ऊपर चढ़कर देखेंगे
इतना न सोचो के देखा सोचा स्वप्न अधूरा रह जाए
कुछ करना है सो करना है जीवन व्यर्थ न पूरा रह जाए
हाँ! होंगे जरूर हमसे ज्यादा अनुभवी जीवन समझने वाले
होंगे मंजिल तक रस्ते चार,और उनपर भी कुछ चलने वाले
जब पाँचवा रास्ता ढूंढ लिया तो उसपर चलकर देखेंगे
निज जीवन से ज्यादा क्या देंगे हम इस महान आवर्तन को
इक विषय चलो हम पीछे छोडें अगले कवियों के दर्शन को
जो खून खौल रहा क्षत्रिय सा, और युद्ध भूमि ललकार रही
तो ऐसे में हमको कायर सा, क्रंदन और भय स्वीकार नहीं
व्यास कथन जो सत्य हुआ तो सब देव उतर कर देखेंगे
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
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2 comments:
होंगे मंजिल तक रस्ते चार,और उनपर भी कुछ चलने वाले
जब पाँचवा रास्ता ढूंढ लिया तो उसपर चलकर देखेंगे
बधाई ||
इतना न सोचो के देखा सोचा स्वप्न अधूरा रह जाए
बहुत सही कहा चक्रेश जी
कभी कभी ज्यादा सोचने से भी सपने मर जाते हैं
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