Friday, September 2, 2011

बाबरी


वो मर मिटें मेरी मजार से उठे सवाल पर
फ़रियाद है के बक्ष दो मुझको मेरे हाल पर

इक चाह थी के चैन से चुप चाप मैं सो जाऊंगा
के रख दिया तकदीर ने थप्पड़ मेरे गाल पर

No comments:

उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही

  उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं  रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा  ख़ुद के हा...