ये नया नया तजुर्बा ये नयी नयी निशानी
मेरी जिंदगी सुनाये फिर से वही कहानी
तन्हाइयों ने घेरा आकर के उस घड़ी में
जब ढूढती थी आँखें
यारों की निगेहबानी
मैं जानता हूँ इक दिन बदलेंगे सब नज़ारे
महफ़िल में जल उठेंगी गज़लें मेरी पुरानी
जिनको नहीं ख़बर थी हालात की शहर के
वो पूछते थे मुझसे आँखों में क्यूँ था पानी
उठकर चला था जब मैं दुनिया को ही बदलने
उस पल से ही हुयी हैं
गलियाँ सभी बेगानी
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