Friday, May 30, 2014

तेरे गेसुओं में कहीं खो गया हूँ

तेरे गेसुओं में कहीं खो गया हूँ
ज़माने से ही मैं जुदा हो गया हूँ

तेरा नाम सुनकर अभी जाग जाता
सदा के लिए जाँ मगर सो गया हूँ

नहीं आज दिल में कोई ज़ौक़-ए-वसलत
सनम जीतेजी मैं फना हो गया हूँ


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मेरे सच्चे शेर

 बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow)