ख़त्म होगी मेरी कहानी भी
आप की चाहतों की बारिश में
खिल उठी इक ग़ज़ल पुरानी भी
अपनी मजबूरियाँ ये तकलीफें
कुछ कही कुछ पड़ी छुपानी भी
खैर अफ़सोस तो रहेगा ही
खो गयी प्यार की निशानी भी
जो न मिलते कभी भी उनसे तो
यूँ न होता गुहर ये पानी भी
जो न मिलते कभी भी उनसे तो
यूँ न होता गुहर ये पानी भी
2 comments:
चाह्तों की बारिश में
यूँ ही भीगते रहे आप
इसी तरह एक सुंदर
गजल साथ साथ ही
लिखते भी रहें आप !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति शुभकामनायें
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