गिनती है सांस जिंदगी पल पल उधार है
हमपे भी कर-गुजरने की कुछ ज़िद सवार है
बारिश में भीगते रहे बेरोक टोक हम
उनको तो छींक आ रही हमको बुखार है
दिल में रही खलिश जो था इक तीर-ऐ-नीमकश
अफ़सोस अब यही के वो भी आर पार है
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow)
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