Sunday, December 12, 2010

साथ जिनका मिला एक पल के लिए

साथ जिनका मिला एक पल के लिए

दे गए वो निशानियाँ कल के लिए



पास मेरे है तू आज है ye यकीन

ae खुदा शुक्रिया हर कँवल के लिए



यूँ तो तैयार है ताज ख़्वाबों की ईंट पर

मुमताज चाहिए बस इस महल के लिए



हमको कब थी खबर आप यूँ याद आयेंगे

आपका शुक्रिया इस गज़ल के लिए

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मेरे सच्चे शेर

 बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow)