Thursday, April 7, 2011

थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो

क्यूँ रूठ गए मेरे यार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो
कुछ बातें हैं दो-चार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो

भोला सा भोला भाला सा
नन्हा सा वो मतवाला सा
खोया बचपन का प्यार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो

देखो तो शायद मिल जाए
अंतर में झांको मुस्काये
हाँ वही वो राज कुमार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो

behane को नदियाँ बहती हैं
सब अपनी अपनी कहती हैं
सुन सको तो सुन लो यार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो

सागर की उमंगें बन जाओ
हंस सको न सको पर मुस्काओ
जीवन बच्चों का व्योपार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो

उठा कलम कविता लिख दो
खोल ह्रदय आखर सरिता लिख दो
मृगनयनी से कर लो आँखें चार
थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो


बोतल की बूंदों को मतलब को

प्यालों को सब का सब दे दो

दुःख का मत लो भार

थोड़ा धैर धरो कुछ देर सुनो

1 comment:

Anonymous said...

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