दीवारें नम रहीं बरसों तो क्यूँ ना ग़म-ज़दा होगी
बेहकता है बेहकने दे उदू को कुछ शिकायत है
जो रोकूँ गर मैं पीने से तो ये भी तो खता होगी
अभी उस शख्स की यादों को मेरे दिल मुल्तवी कर दे
अगर खूरेज़ हुआ फिर से तो तेरी क्या दावा होगी
तेरे दर से चला था सोच कर के भूल जाऊंगा
नहीं सोचा था शिकायत भी तुझे से बारहा होगी
चलूँ पीछे मैं राहों पे इसी उम्मीद में "चक्रेश"
कहीं बैठी मेरी किस्मत मुझी से कुछ खफा होगी
-ckh
(not in meter)
चलूँ पीछे मैं राहों पे इसी उम्मीद में "चक्रेश"
कहीं बैठी मेरी किस्मत मुझी से कुछ खफा होगी
-ckh
(not in meter)
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