अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
Sunday, April 29, 2012
जिंदगी ही तो है
जिंदगी ही तो है
कोई शतरंज का खेल थोड़ी है
के हार-जीत में ही दिलचस्पी ली जाए
कौन खेल रहा है और किसके साथ
ये भी कहाँ मालूम है किसी को यहाँ यारों ?
जिंदगी ही तो है
कोई संजीदा सी ग़ज़ल थोड़ी है
के डूब कर सुनी जाए और सोचा जाए
के आखिर ऐसा क्यूँ होता है ?
नाग्मानिगार कौन, किरदार कौन और फनकार कौन
ये भी कहाँ मालूम है कैसी को यहाँ यारों ?
जिंदगी ही तो है
चलती रेल थोड़ी ही है
के जरूरी हो किसी सोचे हुए मकाम तक पहुंचना
और ये सोचना के अब आगे और कहाँ
जो चल रहा है वही मकाम होता हो शायद
कहाँ से आये कहाँ चले ?
ये भी कहाँ मालूम है किसी को यहाँ यारों
जिंदगी ही तो है
कोई पत्थर की लकीर थोड़ी ही है
के खिंच गयी तो हो जाए मिटाना मुश्किल
जो कह दिया, सो कर दिया, कभी रो दिए और कभी हंस दिए
क्या कहा, क्या किया, रोये क्यूँ और क्यूँ हँसे
ये भी कहाँ मालूम है किसी को यहाँ यारों
ज़िन्दगी ही तो है
और मैं इसे जीता हूँ
हर जागते पल में
एक फनकार की तरह
एक किरदार की तरह
बे बहार, बे वज़न, और बे तुकी सी जो है दिख रही
वो ग़ज़ल, वो सुखन, वो नग्मा मेरा है
और महक रही है मेरी रूह हर हर्फ़ में
कुछ असरार की तरह
क्या किया, क्यूँ किया, क्या न किया और क्यूँ नहीं
में जी मेरा लगता कहाँ
मैं जी चला ये जिंदगी
इक अंदाज़ में जो मेरा ही था
मीरा का, दाग या अहमद फ़राज़ का नहीं
-चक्रेश-
मेरे सच्चे शेर
बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow) दरख़्तों को शिकायत है के तूफ़ाँ ...
-
(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
-
(Ram V. Sir's explanation) vAsudhEvEndhra yogIndhram nathvA gnApradham gurum | mumukshUNAm hithArThAya thathvaboDhaH aBiDhIyathE || ...
-
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...

6 comments:
वाह........................
बहुत खूबसूरत नज़्म....और बेहतरीन फलसफा.......
लाजवाब....
अनु
वाह........................
बहुत खूबसूरत नज़्म....और बेहतरीन फलसफा.......
लाजवाब....
अनु
शोभा चर्चा-मंच की, बढ़ा रहे हैं आप |
प्रस्तुति अपनी देखिये, करे संग आलाप ||
मंगलवारीय चर्चामंच ||
charchamanch.blogspot.com
Thank you Sir
ज़िंदगी ही तो है .... खूबसूरत रचना
जज्बातों का खूबसूरती से प्रस्तुतीकरण दिल को आनंदित कर जाता है. इस सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई.
Post a Comment