अच्छा होना समस्या है, गलती नहीं
भीड़ में अकेला महसूस करना मजबूरी है
कमजोरी नहीं
जो हम रुसवा हुए बस्ती बस्ती
कौन कहता है के इज्ज़त हार आये हैं?
के लोगों की बातें दिल-ऐ-शहंशाह को कब हरा पायी हैं
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow)
No comments:
Post a Comment