दिल की इस बेकली को क्या कह दूं
अपनी सादादिली को क्या कह दूं
मुझको अलफ़ाज़ अब नहीं मिलते
आप की संघ्दिली को क्या कह दूं
मेहरबाँ आप के इशारों पे
खिल रही हर कलि को क्या कह दूं
नाम:बर अब इधर नहीं आते
प्यार वाली गली को क्या कह दूं
उड़के आया है ख़त मेरे अंगने
नज़्म आधी जली को क्या कह दूं
चाह कर देख भूलना उसको
एक नसीहत भली को क्या कह दूं
आज 'चक्रेश' कह रहा दिल की
आज ग़ालिब वली को क्या कह दूं
2 comments:
बहुत खूब चक्रेस जी ||
नज़्म आधी जली को क्या कह दूं!
क्या वजा फरमाया है !
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