Wednesday, May 18, 2011

होता है जो अच्छे के लिए होता होगा


होता है जो अच्छे के लिए होता होगा

तो क्या हुआ जो कोई कहीं रोता होगा



दिन के उजालों में हों टूटते जिसके सपने

ख्व़ाब चाँदनी-तले वो सारे संजोता होगा



वो जो बच्चों से दिल का मालिक है

कस्तियाँ कागजों की अब भी डुबोता होगा



भूल जाना कहाँ सीख पाया 'चक्रेश'

पुराने खारों से रूह अब भी चुभोता होगा

मेरे सच्चे शेर

 बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow)