कभी कभी मेरे दिल में ये ख़याल आता है
के इस एक उम्र के तमाम लम्हे ख़ुशी के हो भी सकते थें
पर ये हो न सका
जिंदगी हर एक राह हर एक मंजिल एक नया सफहा खोलती गयी अलिफ़ लैला की दास्तानों सी
और हर एक हर्फ़ एक नए सफ़र के इशारे लेकर
आता रहा ..... जाता रहा
कभी कभी मेरे दिल में ये ख़याल आता है
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...
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(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
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1 comment:
kabhi kabhi dil me ye khayal aata hai :)
bahut sundar
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