अपने अपने फैसले ..
जिंदगी तो बारहां ,
दरवाजे खोलती रही ;
अपनी अपनी चाह थी,
अपनी अपनी राह थी ..
जिंदगी तो बारहां,
सच ही बोलती रही ;
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...
1 comment:
very beautiful..............
anu
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