क्षणभंगुर इक स्वप्न
असीमित आलौकिक उस दिव्य शक्ति का
परम सत्य विज्ञान सिखा
मानव - जीवन से विरक्ति का
अभी अभी दो खुलती पलकों पर
छूमंतर हो भगा है
देखो किसी के घर में कोई
नन्हा जीवन जागा है!
-ckh-
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...
1 comment:
बहुत सुन्दर!!!!!!!!!!
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