ये शायर मुहब्बत के काबिल नहीं है
किसी की ख़ुशी में ये शामिल नहीं है
मगर गौर देकर खामोशी भी सुनना
ये चुप हो गया है ये संघदिल नहीं है
सुना है के कहता था धुत हो नशे में
हयात-ऐ-खलिश का कोई हासिल नहीं है
भला कैसे समझें सबब आंसुओं का
न आशिक ही है ये, ये बिस्मिल नहीं है
ये दरिया है शायद इसे तुम न समझो
बेगाना मगर इससे साहिल नहीं है
1 comment:
waaaaaah Chakreshbhai............
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