Saturday, July 21, 2012

मौसम-मौसम बढ़ता जाए

मौसम-मौसम बढ़ता जाए 
जीवन का रंग चढ़ता जाए 

केशव खोलें सारी गाठें
अर्जुन गीता पढ़ता जाए 

कुंडली में रख रहू केतु को 
भाग्य, देवता मढ़ता जाए 

मद्धम-मद्धम गिनता सासें 
कोई कविता गढ़ता जाए

-ckh

4 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

beautiful.........
loved every word of it.....

anu

रविकर said...

बढ़िया है भाई जी ||

chakresh singh said...

thank you Sir

Anjani Kumar said...

bahut sundar dost..

उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही

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