Sunday, July 1, 2012

आईना तू ही पराया क्यूँ है


आईना तू ही पराया क्यूँ है 
दाग चेहरे पे लगाया क्यूँ है 

ऐ शमा तूने उजाले तो किये 
पर मेरे घर को जलाया क्यूँ है 

ऐ खुदा ख़ाक ही हो जाना है  
फिर मुझे  तूने  बनाया क्यूँ है 

-ckh-

1 comment:

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत कुछ है आपके जिम्मे.....इसलिए खुदा ने आपको बनाया है..
:-)

सुन्दर रचना.

अनु

मेरे सच्चे शेर

 बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow)