Sunday, February 28, 2010

नहीं कहता अलविदा तुमसे

नहीं कहता अलविदा तुमसे
अभी कुछ उद्देश बाकी है
कुछ कहानी आगे चल चुकी जरूर है
कुछ अधूरा कुछ शेष बाकी है

कौंध रही है रह रह कर
एक बिज़ली नसों में
पिघलती मोम के साथ जलते शरीर में
अब भी कुछ चक्रेश बाकी है

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

नहीं कहता अलविदा तुमसे
अभी कुछ उद्देश बाकी है
कुछ कहानी आगे चल चुकी जरूर है
कुछ अधूरा कुछ शेष बाकी है


इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

मेरे सच्चे शेर

 बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow)