तेरा नाम लिख कर मिटाते मिटाते
तेरे हर इक ख़त को जलाते जलाते
यूँ लगता है खुद को भुला हम हैं बैठे
तुझे जेहन-ओ-दिल से भुलाते भुलाते
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
मेरे सच्चे शेर
बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow) दरख़्तों को शिकायत है के तूफ़ाँ ...
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(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
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(Ram V. Sir's explanation) vAsudhEvEndhra yogIndhram nathvA gnApradham gurum | mumukshUNAm hithArThAya thathvaboDhaH aBiDhIyathE || ...
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उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...
4 comments:
बढ़िया मुक्तक!
4 panktiyon main i dil a dard byaan kar diya....
just too gr8...
सुंदर पंक्तियाँ ..... कुछ यादें हमेशा साथ रहती हैं...
bahut sundr :)
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