दिल ऊब चुका सुन कर बेकार की बातें
कहते हैं के काफी थी मेरे हिस्से की हँसी
अब वक़्त है के समझूं is संसार बातें
मुझसे जुदा खड़े हैं मुझे सब जानने वाले
इनको न रास आयीं मेरी प्यार की बातें
मेरे ख्वाब में परी थी, बाहों में फैले बादल
कितनी अजीब हैं पर, ये कारोबार की बातें
टुकड़ों में जी रहा हूँ, क्यूँ ज़िन्दगी तुझे
कब हो गयीं ज़रूरी, कुछ दो-चार की बातें
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टुकड़ों में जी रहा हूँ, क्यूँ ज़िन्दगी तुझे
कब हो गयीं ज़रूरी, कुछ दो-चार की बातें
बहुत खूब
Uttkrasht prastuti
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