हर कोई इक सफ़र में है
ज़िन्दगी की डगर में है
मंजिलों की नहीं खबर
काफिला रहगुज़र में है
फिर वही रंग-ओ-बू यहाँ
फिर तमाशा शहर में है
आधियाँ थम ही जायेंगी
हौसला हर सज़र में है
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...
2 comments:
बहुत खूब.........................
छोटे बहर की बढ़िया गज़ल....
शुक्रिया अनु जी
-ckh-
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