Friday, May 25, 2012

कहना चाहा बहुत कह न पाया कभी


कहना चाहा बहुत कह न पाया कभी 
और फिर चैन से रह न पाया कभी 
 
कुछ मुलाक़ात में आप क्या हो गए
क्यूँ भला फासले सह न पाया कभी 

अलविदा की घड़ी जैसे थम सी गयी 
वक़्त उससे निकल बह न पाया कभी 




PS: The meter of this Gazal is same as that of the famous gazal in the voice of Jagjit ji: "aap ko dekh kar dekhata reh gaya".

5 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब सर!


सादर

sushila said...

बहुत ही खूबसूरत शेर कहे हैं आपने । बधाई !

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर......
छोटे बहर की सुंदर गज़ल.....

अनु

Onkar said...

sundar sher

chakresh singh said...

शुक्रिया दोस्तों


-ckh-

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