दिल जिसे याद करके बिखरता रहा
बारहाँ वो ग़ज़ल में उतरता रहा
सोचता था के कह दूं तमन्ना मेरी
पर ज़माने का डर था मैं डरता रहा
क्यूँ नहीं आज वो पास मेरे यहाँ
फिर खुदा से शिकायत ये करता रहा
जिंदगी जो समंदर सी होती रही
मैं किनारों से लगकर गुजरता रहा
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