मासूम से सवाल में, उलझा रखा है दिल ;
इक बावले ख़याल में, उलझा रखा है दिल ;
जीते थें जिस निगाह पर, हर शै निसार कर;
उसने ही तो रुमाल में, उलझा रखा है दिल ;
यूँ तो किसी उम्मीद का, हमपर असर नहीं;
पर दिन महीने साल में, उलझा रखा है दिल;
कुछ था न कुछ ले आये थें, महफ़िल में तेरी हम;
देखो मगर मलाल में, उलझा रखा है दिल;
ठोकर में रख चले सभी, आराईशों को हम
तुम हो के किस बवाल में, उलझा रखा है दिल
आराईशों: embellishments.
-ckh-
5 comments:
बहुत बढ़िया गज़ल......
अनु
शुक्रिया अनु जी
-ckh-
बहुत बढ़िया
सादर
जीते थें जिस निगाह पर, हर शै निसार कर;
उसने ही तो रुमाल में, उलझा रखा है दिल ;
प्यारी ग़ज़ल .....
dhanyavad
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