Monday, June 11, 2012

जीवन - स्वप्न


क्षणभंगुर इक स्वप्न 
असीमित आलौकिक उस दिव्य शक्ति का 
परम सत्य विज्ञान सिखा 
मानव - जीवन से विरक्ति का 
अभी अभी दो खुलती पलकों पर 
छूमंतर हो भगा है
देखो किसी के घर में कोई
नन्हा जीवन जागा है!

 -ckh-

1 comment:

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर!!!!!!!!!!

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