हम को नहीं था ये पता के हम यहाँ मेहमान थें
सब में रहें कल तक मगर सबसे यहाँ अनजान थें
हमसे सभी कहते रहे करना न तू कभी दिल लगी
रहता मगर कब होश था हम भी बड़े नादान थें
पलकें न भीं/गे यार का दामन सदा महका करे
सबसे अलग हो इक जहाँ अपने अजब अरमान थें
जिनसे कभी कुछ न गिला वो भी रंज जताने लगे
राहें न थीं सीधी कभी हर बात पे फरमान थें
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jeena yahan, marna yahan....
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
मेरे सच्चे शेर
बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow) दरख़्तों को शिकायत है के तूफ़ाँ ...
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(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
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(Ram V. Sir's explanation) vAsudhEvEndhra yogIndhram nathvA gnApradham gurum | mumukshUNAm hithArThAya thathvaboDhaH aBiDhIyathE || ...
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उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...
1 comment:
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Beautiful couplets !
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